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Showing posts from March, 2018

🚭🍷दे दारू.. दे दारू..🍷🚭

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      🚭🍷दे दारू.. दे दारू..🍷🚭 ******************************** कइसे मय समझाव तोला, का होगे समारू.. सुत उठ के बड़े बिहनिया, दे दारू..दे दारू.. दूरगति तै कर डारे, कउनो नइ पतियाय, जेखर तीर म जाथस, तउने ह लतियाय, बड़हर मन के आगू-पाछू, तै घूमे रे समारू... सुत उठ के बड़े बिहनिया, दे दारू..दे दारू.. लोग-लइका के संसो नइये,मति तोर छरियागे, दारू बिन कछू सूझय नहीं, बुद्धि तोर हजागे, कुकूर कस पूछी हिलावत, घूमत हस समारू.. सुत उठ के बड़े बिहनिया, दे दारू.. दे दारू.. गाल ह तोर चपटगे... आँखी घलो खुसरगे, दिखत हावै हाड़ा-गोड़ा.. नर-कंकाल बनगे, तन म कउनौ बल नइये, काँपत हस समारू... सुत उठ के बड़े बिहनिया, दे दारू.. दे दारू.. **********************************      ✍केतन साहू "खेतिहर"✍    बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) **********************************

💘हर दिल कविता करता है...💘

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 💘हर दिल कविता करता है 💘 *************************** जब रिमझिम बारिश होती है, धरती की प्यास बुझाती है, बहती ठंडी शीतल बयार, मिट्टी सौंधी महकाती है, जब तपन हृदय का मिटता है.. तब,हर दिल कविता करता है... *************************** जब कलियाँ हँसती गाती हैं, खुशबू अपनी बिखराती हैं, जब गुलशन में गुल खिलता है, भौंरा उन पर मँडराता है, जब प्यार प्रिया पर आता है.. तब,हर दिल कविता करता है... *************************** जब फसल नई पक जाती है, खुशियाँ घर-घर में लाती है, जब रंग खुशी का चढ़ता है, मन झूम-झूम कर गाता है, जब पर्व मनाया जाता है... तब,हर दिल कविता करता है... *************************** जब याद पुरानी आती है, अंतर्मन को तड़फाती है, जब टीस हृदय में उठती है, नैना आँसू छलकाती है, जब प्यार जुदा हो जाता है, तब,हर दिल करता करता है... **************************      ✍केतन साहू "खेतिहर"✍    बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)        मो. नं.- 7049646478 ***************************

☀🌸 मधुमास 🌸☀

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      ☀🌸  मधुमास 🌸☀ ******************************* झूम रहा है ये गगन, धरणी रूप निहार। मदमाती मधुमास में, उमड़ रहा है प्यार।। नशा हवा में घोलती, महुआ फूल सुवास। झूम रहें हैं वृक्ष सब, छाया हर्षोल्लास।। आम्र मंजरी संग में, बिखरा रही सुगंध। साथ सभी मिल दे रहे, मधुर मधुर संबंध।। पुलकित हों प्यारी धरा, रिझा रही आकाश। धरती का श्रृंगार है, पुष्पित वृक्ष पलाश। लाल चुनरिया ओढ़ ली,पिया मिलन की आस। दबे पाँव जैसे चली, दुल्हन पिय के पास।। **********************************      ✍केतन साहू "खेतिहर"✍    बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)        मो. नं.- 7049646478 **********************************

🌚अँधेरी रात 🌚

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             🌚अँधेरी रात 🌚 ★★★★★★★★★★★★★★★★★ काली अँधेरी रात है, चलते रहें रुकना नहीं, कांटे  चुभेंगे पाँव में, संयम  हमें  खोना नहीं, थामें रखें हम हाथ को,उम्मीद का दीपक जला, तकलीफ चाहे हो मगर, फिर भी हमें रोना नहीं, मंजिल तुम्हारे पास है,राही तनिक रख हौसला, चल धीर तुम हो वीर भी,चलते रहो रुकना नहीं, इतना हमें मालूम है, इस रात का भी अंत है, रौशन जहाँ करना हमें,थक हारकर सोना नहीं, उठ"खेतिहर"इस दौर में, पुरजोर हम लड़ते रहें, बनके दिया जलते रहें, हर हाल में बुझना नहीं, ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆       ✍केतन साहू "खेतिहर"✍    बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)        मो. नं.- 7049646478 Blog- ketansahu77.blogspost.com ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆