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🍷मयशाला बनाम मयकशी🍷

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     🍷मयशाला बनाम मयकशी🍷 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मापनी-- 212  212  222  212 तर्ज-- हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम, ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ⚡⚡⚡⚡⚡⚡⚡⚡⚡⚡ खून हमने  तुम्हारा जी भर के  पिया । तू समझता रहा मैं तो खुल के जिया।। देख  तेरे  लिए ही  मयशाला खुला, यार तुमने पियाला भर-भर के पिया। जाम पे जाम यारों छलकाते रहे, और खाली खजाना ना होने दिया। तुम शराबी कहाते हो या बेवड़ा, पर हमें देवघर का दर्जा दे दिया। भक्त भगवान सा अनुपम नाता यहाँ, सब चढ़ाकर प्रसादी तुमने ले लिया। भक्त सारे तुम्हारे कायल हो गए, जाम छूटे नहीं तुमने वर ले लिया। तू जिए या मरे अब है किसको फिकर, मर गया मानकर श्रद्धांजलि दे दिया। दोष किस पर लगाएँ तेरी मौत का, जब हमीं शौंक से तुमको मरने दिया। देश हित मे दुकानें मय की चल रही, मौत देकर शराबी तमगा दे दिया। "खेतिहर" ये अकेले के बस में नहीं, लाश हमने उठाने कांधा दे दिया। ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः ✍© केतन साहू "खेतिहर"✍️     बागबाहरा, महासमुंद (छग.)       मो.नं.- 7049646478