💦 शीत लहर 💦 💫💫💫💫💫💫💫💫 भीतर तो सिहरन है तन में, बाहर बारिश बरस रही है। वृष्टि-सृष्टि दोनों ही मिलकर, महि अम्बर को सता रही है।। 💫💫💫💫💫💫💫💫 धरती अम्बर सिमट गए हैं, इक-दूजे से लिपट गए हैं । बदली बनी हुई है चादर, मानों दोनों ओढ़ लिए हैं।। 💫💫💫💫💫💫💫💫 जीव-जंतु सब काँप रहे हैं, कठिन समय को भाँप रहे हैं। शीत लहर सी हवा चली है, अग्नि सुहानी ताप रहे हैं ।। 💫💫💫💫💫💫💫💫 ✒केतन साहू "खेतिहर"✒ बागबाहरा, महासमुंद(छग.)
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Showing posts from 2018
👑 भाग्य बनाम कर्म 👑
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👑 भाग्य बनाम कर्म 👑 ********************* भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म करो तुम कर्म करो... 💫💫💫💫💫💫💫💫 जब कर्म जमीं पर दिखता है, तब भाग्य किसी का खुलता है, बिन कर्म किये इस दुनिया में, कुछ कहाँ किसी को मिलता है, लक्ष्य बड़ा गर पाना है तो, हर सम्भव यत्न प्रयत्न करो... भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म... 💫💫💫💫💫💫💫💫 कर्म कभी ना वंचित होगा, धर्म-कर्म सब संचित होगा, बिगड़े भाग्य बनाना है तो, कर्म तुम्हें भी करना होगा, खुद के भाग्य विधाता तुम हो, निज हाँथों नवल विधान करो... भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म... 💫💫💫💫💫💫💫💫 सत्य सनातन सब धर्मों का, सच्चे सिद्ध साधु-संतों का, वेद-पुराणों का भी कहना, किस्मत परिणति है कर्मों का, जीवन फल है यह जन्मों का, सब जीव-जंतु हित धर्म धरो... भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म... 💫💫💫💫💫💫💫💫 करनी किस्मत की कुंजी है, जीवन भर संचित पूँजी है, कर्मवीर की मंगल गाथा, गुणगान गगन पर गूँजी है, युगों-युगों गूँजे जयगाथा, हे! कर्मपथी जयघोष करो... भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म.
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🤣नखरा तोर झर जाही रे...🤣 💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫 झनकर तैं झगरा बाबू..खाना ल झन फेंक, नखरा तोर झर जाही रे, रांध-कूट के देख... 💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫 बने-बने तैं रांधस नहीं, काहत मुड़ी पीरागे, अब्बड़ मारे ताना तैं तो, बाई घलो रिसागे, चूल्हा कस गुंगवावत हे..फूँक मार के देख... नखरा तोर झर जाही रे... 💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫 आगी-पानी जुगार कर, छेना लकड़ी लान, बटकी म..पिसान ले-ले, नून डार के सान, रोटी तोर जर जाही रे..उलट-पुलट के सेंक, नखरा तोर झर जाही रे... 💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫 नून-मिरचा,धनिया ले-ले, सिलपट्टा तैं पीस, खा ले संगी अलवा-जलवा, झन कर तैं रीस, मोर कहना..मान ले बाबू अब तो घुटना टेक... नखरा तोर झर जाही रे... 💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫 ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद,(छ.ग.) Copy right @ketan.
🕯दिवाली मनाएं...🕯
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🕯दिवाली मनाएं...🕯 ******************** अँधेरे घरों में दिये हम जलाएं चलो इस तरह से दिवाली मनाएं, कहीं रौशनी है कहीं पर अँधेरा, चलो आज हम भेद सारा मिटाएं कहीं पर ना हो रंजो गम के मेले, खुशी बाँट सबको गले हम लगाएं, रहे प्यार ही प्यार अब इस जमीं पर, चलो हम दिलों से नफ़रत मिटाएं, बने स्वर्ग जैसा गुलिस्तां हमारा, चलो "खेतिहर" शुभ दिवाली मनाएं, केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग. )
चंचल चितवन...
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कुंडलिया... 💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕 चंचल चितवन चाँदनी, चारु चंद्र चितचोर। स्नेह सुधा बरसा रही, महि अम्बर चहुँ ओर।। महि अम्बर चहुँ ओर, भोर मनभावन लागे। सौम्य सुहानी शाम, प्रीत प्रियतम मन जागे।। स्वच्छ चाँदनी रात, मचाता हिय में हलचल। कजरारे मृग नैन, प्रिया प्यारी भी चंचल ।। 💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕 केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)
राम-राम तुम कब आओगे...
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आज भारत भूमि से एक पुण्यात्मा हमारे बीच से जुदा हो गए, मा.अटल बिहारी बाजपेई जी के निधन पर आज मुझे बिल्कुल वही अनुभूति हो रही है,जैसे त्रेतायुग मे राजा दशरथ जी राम-राम रटते हुए देह त्याग कर स्वर्ग सिधार गए थे, और पूरे भारतवर्ष में शोक की लहर फैल गई थी, इसका वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है... "राम-राम कहि राम कहि,राम-राम कहि राम, तनु परिहरही रघुवर विरह, राउ गयउ सुरधाम" उसी भाव के साथ अटल जी को यह पंक्तियां समर्पित करता हूं... 🌹राम! राम! तुम कब आओगे... कुटिल कैकई की चालों से, निज स्वार्थ कपट के जालों से, फिर से छला गया मैं देखो, क्या लीला वही कराओगे.... राम! राम! तुम कब आओगे.... चौदह बरस लगाये तुमनें, रावण को मार गिरानें में।। अबकी बार बता भी दो ना, तुम कितनें बरस लगाओगे... राम! राम! तुम कब आओगे... मेरे अपने छूट गये हैं। स्वर्णिम सपनें टूट गये हैं।। वो मेरे सपनों का भारत, क्या अब तुम नहीं बनाओगे... राम! राम! तुम कब आओगे... अब कलयुग नंगा नाच रहा। भोली जनता क
💥अगस्त क्रांति💥
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अगस्त क्रांति 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪 अगस्त क्रांति के महासमर में, आओ हम भी इतिहास गढ़ें... अपने हक के खातिर हम भी, इक सैनिक बन पुरजोर लड़ें... आज अगर हम लड़ न सके तो, जमीर अपनी धिक्कारेगी... घुट-घुट कर फिर जीना होगा, दुनिया उपहास उड़ायेगी... साथ सदा हमको रहना है, तन-मन अपना फिर शुद्ध करें... छोड़ो आपस की बातों को, आओ हम मिलकर युद्ध करें... 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪 ✒ *केतन साहू "खेतिहर"* ✒
⚡ वो फिर आ गये...⚡
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⚡ वो फिर आ गये...⚡ ************************ वो फिर आ गये मसीहा बनकर, जो हमको डूबता छोड़ गये थे, कांधे पर जो चढ़कर अपने, खुद ही सरपट दौड़ गये थे, ********************** यह सोच के दिल घबराता है, उसे याद हमारी फिर आई है, अब की बार संभल कर रहना, कहीं फिर से न आफत आई है, ********************** जब दर्द से आँसू छलक रहे थे, तब तो न आये मनाने को... अब खुद से जीना सीख रहे हैं, वो फिर आ गये रूलाने को... ************************ ✍ केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)
मुक्तक..🐊.घड़ियाली आँसू..🐊
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(1) *********************************** झूठ था कहना तुम्हारा सच नही सब एक हैं, खुल रहा है भेद सारा लग रहा सब फेंक हैं, सच अगर लगता बुरा तो लगनी भी तो चाहिए, बन गये सब शेख हैं बस अपना अपना देख हैं, *********************************** (2) *********************************** खुल रहा है भेद सारा सच कभी छुपता नहीं, अब दिखावा मत करो अच्छा हमें लगता नहीं, जश्न की गर बात है तो खुल के भी हँस दो जरा, अश्रु अब घड़ियाल के अच्छा हमें लगता नहीं, *********************************** ✍ केतन साहू "खेतिहर" ✍
⛈बरसो रे! अब मेघ..⛈
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बरसो रे! अब मेघ.... ******************************** चिंता ग्रस्त किसान हैं, बिन बारिश बरसात। धरती सूखी है पड़ी, बिगड़ रहे हालात।। बिगड़ रहे हालात, घटा गम की अब छाई। कहीं पड़े न अकाल, हो न जाए दुखदाई।। बरसो रे! अब मेघ, मिले सबको निर्भयता। बुझे धरा की प्यास, मिटे सबकी यह चिंता।। ******************************** केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)
🎪 ☀राम मंदिर ☀🎪
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🎪 ☀राम मंदिर ☀🎪 ********************************* पूछते हैं कब बनेगा राम का मंदिर यहाँ। कौन देगा अब बता दो प्रश्न का उत्तर यहाँ, कोर्ट मे है मामला अब प्रश्न की बौछार है, चल रहा है बस अदालत युद्ध सा मंजर यहाँ। माँगते हैं वो निशानी आज जो पैदा हुए, सेतु लंका तक बना है कह रहा सागर यहाँ। आज भी है कुछ निशानी इस जमीं पर देख तो, फिर मिलेगा हर दफन उस प्रश्न का उत्तर यहाँ। "खेतिहर" कहता नहीं बस हिंदुओं का राज हो, साथ मिलकर सब चले हो धर्म का आदर यहाँ। ********************************** ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) **********************************
💔 प्यासी आस 💔
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💔 प्यासी आस 💔 ************************** हमें भी तो है उस दरिया की तलाश, जो बुझा दे,अपनी भी दिल की प्यास, मगर हमारी प्यास बुझा दे, ऐसी यहाँ कोई दरिया नहीं... हम तो समंदर चाहते हैं, कोई ताल तलैया नहीं... प्यार, इश्क, मोहब्बत, इसका यहाँ कोई कद्र नहीं, ये सब तो बेमानी है... इस अँधी दुनिया में, सूख गई हैं,दिल की दरिया, बचा नही अब पानी है और इस टूटे दिल के मंजर में, आस के फूल खिलाना है.. छट जाएंगे घनघोर अंधेरा, अब नया सवेरा लाना है... ***************************** ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) ******************************
♥ काकर दिल धड़कय नहीं ♥
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♥ काकर दिल धड़कय नहीं ♥ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ फूलथे फूल फूलवारी म, त... काकर दिल मचलय नही... थोड़किन मोला बतावव संगी, काकर दिल..धड़कय नहीं... ***************************** जब चढ़थे रंग नवा बछर के सबो कली मुस्काथे ना.... महकथे खुशबू महर-महर त, तितली घलो मंडराथे ना... गवाँ के सुध-बुध प्रेम धुन म, का भौंरा बौराय नहीं... थोड़किन मोला बतावव.... ****************************** जवानी के डेरौठी म जब, नवा-नेवरिया पाँव धरथे ना... नैन-बैन अउ मोंहनी सूरत के, नशा ओखर पर चढ़थे ना... लैला के बस एक दरस बर, का मजनू तड़फय नहीं... थोड़किन मोला बतावव.... ****************************** उमड़थे हृदय म हिलोर त, दिन-दिन चाहत बढ़थे ना, मया पिरित के ये रद्दा म, आँखी मूंद.. कूद परथे ना, बरत दिया म बतरकिरी कस बर-बर के..का मरय नहीं... थोड़किन मोला बतावव संगी, काकर दिल..धड़कय नहीं... ***********************
💔कोई मीत नजर आता नहीं...💔
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💔कोई मीत नजर आता नहीं...💔 ***************************** मतलब परस्त इस दुनिया में, कोई मीत नजर आता नहीं... स्वार्थ भरे सब रिश्ते-नाते, कोई प्रीत नजर आता नहीं... ****************************** बेईमानों का राज यहाँ पर, छाई बेबसी, लाचारी है, सच्चाई की चादर ओढ़े, झूठ,फरेब औ मक्कारी है, खो रहा है चैनों-अमन, अब ईमान नजर आता नहीं... मतलब परस्त इस दुनिया में, कोई मीत नजर आता नहीं... ****************************** उलझे हुए हैं उलझनो में, कपट भरा यहाँ मकड़जाल है, सुख चैन कहाँ इस दुनिया में, अब हाल यहाँ सब बेहाल है, बे-रंग इस जीवन सफर में, कोई रंग नजर आता नहीं... मतलब परस्त इस दुनिया में, कोई मीत नजर आता नहीं... ****************************** महक उठे सब धरती-अंबर, आओ बनाए ऐसा जहां, निःस्वार्थ प्रेम की खुशबू हो, नफरत का न हो नामो-निशां, संबंध मधुर हो भाईचारा, फिर तो द्वेष ठहर पाता नहीं... मतलब परस्त
कुंडली छंद - कर्नाटक का नाटक
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******************************** मानों नाटक चल रहा, भिन्न-भिन्न किरदार। लड़ते हैं दिन-रात जो, लुटा रहे हैं प्यार।। लुटा रहे हैं प्यार, आज सत्ता के खातिर। बना लिए सरकार, देख नेता हैं सातिर।। साँप-बिच्छु का मेल, खेल जहरीला जानो। खाते हैं मिल बाँट, यहाँ मानों ना मानों।। ******************************** केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)
कुण्डलियाँ- कर्नाटक विधान सभा 2018
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******************************** कर्नाटक में चल रहा, अजब सियासी दाँव। जनता भौचक देखती, कौन जमाये पाँव।। कौन जमाये पाँव, मिले किसको अब सत्ता। चर्चा है हर ठाँव, कटे किसका फिर पत्ता।। मचा सियासी रार, देख नेता का नाटक। किसकी हो सरकार, पूछता है कर्नाटक।। ******************************** केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)
कुंडलिया--किसान🌾🌾🌾
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.किसान भाईयों को सादर समर्पित.. 🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾 ******************************* हालत अपनी क्या कहे, एक गरीब किसान। शहरों की है चाकरी, छोड़ गये संतान।। छोड़ गये संतान, भला अब कौन सहारा। खेती पड़ी विरान, हुआ वो खुद बेचारा।। गाँव-गली मत भूल, कमा इतनी धन-दौलत। देखो जरा निहार, पिता की क्या है हालत।। ********************************** 🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾 केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)
कुंडलियां छंद- 💘 माँ-बच्ची 💘
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💘 माँ-बच्ची 💘 ******************************** बच्ची का बचपन गया, छूटा माँ का प्यार। देख दशा मासूम की, भगवन! जरा निहार।। भगवन! जरा निहार, फिरे वो दर-दर मारी। जूठन को लाचार, पड़ी है विपदा भारी।। मात-पिता आधार, कथन है बिल्कुल सच्ची। माँ-माँ करे पुकार, बिछड़ कर माँ से बच्ची।। ******************************** केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)
कुंडलियां छंद_ 🔥बाबा रे! बाबा🔥
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🔥बाबा रे! बाबा🔥 ******************************** बाबा है बस नाम के, करते भोग विलास। फूटी गगरी पाप की, हुआ हास-परिहास।। हुआ हास-परिहास, थूँकती दुनिया सारी। पाखंडी दरबार, लुटी अबला बेचारी। जाते थे दरबार, समझ कर कांशी काबा। ढोंगी का बाजार, सजा बाबा रे! बाबा।। ******************************** केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)
💖 शादी की सालगिरह 💖
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💖 शादी की सालगिरह 💖 ************************** शुभारंभ दांपत्य का, मंगलमय आगाज। शुभ मंगल पावन घड़ी, सालगिरह की आज।। बाबुल का घर छोड़ के, करके नव-श्रृंगार। लाल चुनरिया ओढ़ के, आई मेरे द्वार। कदम तुम्हारे जब पड़े, घर आँगन गुलजार। बच्चों की किलकारियाँ, प्यार भरा परिवार।। साथ संगिनी हो सदा, माँग रहें आशीष। मात-पिता सबको नमन, झुका रहे हैं शीश।। ********************************* ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) ********************************* HAPPY WEDDING ANNIVERSARY 🎼27 APRIL 2018🎼
💖 गजल_ माता-पिता के नाम...💖
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💖 गजल_ माता-पिता के नाम...💖 ******************************* बनें हम पिता और माँ का दुलारा, हमारे लिए ही उमर है गुजारा। उन्हें भी हमारी मदद की जरूरत, हमें जो यहाँ तक दिया है सहारा। बड़े ही जतन से खिलाया पिलाया, पढ़ाकर लिखाकर हमें है सँवारा। न सोना न चाँदी न हीरे जवाहर, उन्हें बस मिले प्यार दुलार हमारा। पिता और माँ की करें हम इबादत, यही फर्ज है धर्म भी है हमारा। ******************************** ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) Blog- ketansahu77.blogspot.com ********************************
🔥सुलगता शहर 🔥
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🔥सुलगता शहर 🔥 *************************** इधर भी उधर भी जिधर देखता हूँ, सुलगता हुआ हर शहर देखता हूँ, कहीं लड़ रहे हैं कहीं मर रहे हैं, झगड़ता हुआ हर नगर देखता हूँ, कहीं आग में जल न जाए यहाँ सब, झुलसता हुआ अब शहर देखता हूँ, सियासत बहुत है घिनौना यहाँ पर, छिड़कता हुआ अब जहर देखता हूँ, न जाने लड़ाकर मिलेगा तुम्हें क्या, उजड़ता हुआ घर तेरा देखता हूँ, ***************************** ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) Blog- ketansahu77.blogspot.com **********************************
🚭🍷दे दारू.. दे दारू..🍷🚭
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🚭🍷दे दारू.. दे दारू..🍷🚭 ******************************** कइसे मय समझाव तोला, का होगे समारू.. सुत उठ के बड़े बिहनिया, दे दारू..दे दारू.. दूरगति तै कर डारे, कउनो नइ पतियाय, जेखर तीर म जाथस, तउने ह लतियाय, बड़हर मन के आगू-पाछू, तै घूमे रे समारू... सुत उठ के बड़े बिहनिया, दे दारू..दे दारू.. लोग-लइका के संसो नइये,मति तोर छरियागे, दारू बिन कछू सूझय नहीं, बुद्धि तोर हजागे, कुकूर कस पूछी हिलावत, घूमत हस समारू.. सुत उठ के बड़े बिहनिया, दे दारू.. दे दारू.. गाल ह तोर चपटगे... आँखी घलो खुसरगे, दिखत हावै हाड़ा-गोड़ा.. नर-कंकाल बनगे, तन म कउनौ बल नइये, काँपत हस समारू... सुत उठ के बड़े बिहनिया, दे दारू.. दे दारू.. ********************************** ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) **********************************
💘हर दिल कविता करता है...💘
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💘हर दिल कविता करता है 💘 *************************** जब रिमझिम बारिश होती है, धरती की प्यास बुझाती है, बहती ठंडी शीतल बयार, मिट्टी सौंधी महकाती है, जब तपन हृदय का मिटता है.. तब,हर दिल कविता करता है... *************************** जब कलियाँ हँसती गाती हैं, खुशबू अपनी बिखराती हैं, जब गुलशन में गुल खिलता है, भौंरा उन पर मँडराता है, जब प्यार प्रिया पर आता है.. तब,हर दिल कविता करता है... *************************** जब फसल नई पक जाती है, खुशियाँ घर-घर में लाती है, जब रंग खुशी का चढ़ता है, मन झूम-झूम कर गाता है, जब पर्व मनाया जाता है... तब,हर दिल कविता करता है... *************************** जब याद पुरानी आती है, अंतर्मन को तड़फाती है, जब टीस हृदय में उठती है, नैना आँसू छलकाती है, जब प्यार जुदा हो जाता है, तब,हर दिल करता करता है... ************************** ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) मो. नं.- 7049646478 ***************************
☀🌸 मधुमास 🌸☀
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☀🌸 मधुमास 🌸☀ ******************************* झूम रहा है ये गगन, धरणी रूप निहार। मदमाती मधुमास में, उमड़ रहा है प्यार।। नशा हवा में घोलती, महुआ फूल सुवास। झूम रहें हैं वृक्ष सब, छाया हर्षोल्लास।। आम्र मंजरी संग में, बिखरा रही सुगंध। साथ सभी मिल दे रहे, मधुर मधुर संबंध।। पुलकित हों प्यारी धरा, रिझा रही आकाश। धरती का श्रृंगार है, पुष्पित वृक्ष पलाश। लाल चुनरिया ओढ़ ली,पिया मिलन की आस। दबे पाँव जैसे चली, दुल्हन पिय के पास।। ********************************** ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) मो. नं.- 7049646478 **********************************
🌚अँधेरी रात 🌚
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🌚अँधेरी रात 🌚 ★★★★★★★★★★★★★★★★★ काली अँधेरी रात है, चलते रहें रुकना नहीं, कांटे चुभेंगे पाँव में, संयम हमें खोना नहीं, थामें रखें हम हाथ को,उम्मीद का दीपक जला, तकलीफ चाहे हो मगर, फिर भी हमें रोना नहीं, मंजिल तुम्हारे पास है,राही तनिक रख हौसला, चल धीर तुम हो वीर भी,चलते रहो रुकना नहीं, इतना हमें मालूम है, इस रात का भी अंत है, रौशन जहाँ करना हमें,थक हारकर सोना नहीं, उठ"खेतिहर"इस दौर में, पुरजोर हम लड़ते रहें, बनके दिया जलते रहें, हर हाल में बुझना नहीं, ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) मो. नं.- 7049646478 Blog- ketansahu77.blogspost.com ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
💆जोगीरा सा रा रा रा...💆
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💆जोगीरा सा रा रा रा...💆 ****************************** हर महिना शिक्षाकर्मी, वेतन दो चिल्लाय। जैसे बहरा के आगे, कोई बीन बजाय।। बता कैसे...करे गुजारा.... जोगीरा सा रा रा रा.... ****************************** कर्जा चढ़गे किसान पर, दाम कहाँ से पाय। जय बोलो नेता जी की, फोकट में बटवाय।। माथे मिट्टी....लगाय बेचारा... जोगीरा सा रा रा रा.... ******************************* पढ़ लिख कर बे-रोजगार, काम कहाँ से पाय। मोदी जी के क्या कहने, ठेला चाय लगाय।। भजिया चाय....बेचे बेचारा.... जोगीरा सा रा रा रा.... ******************************* रुपया-पैसा बैंकों मे, मोदी जी डलवाय। बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी, अरबों लिए भगाय।। घोटाला कर.. गया सारा.... जोगीरा सा रा रा रा.... ******************************* नेता जी के क्या कहने, होली रोज मनाय। गर आ जाता चुनाव तो, दारू खूब पिलाय।। लोकतंत्र का...जश्न हमारा.... जोगीरा सा रा रा रा.... ******************************* आज भंग खूब पिला दो, सब जाऊँ मैं भूल। होली का रंग चढ़ा दो, जीवन लगता शूल।। भींग जाये...तन-मन मेरा.... जोगीरा सा रा रा रा
♥ बीती बात बिसार दें...♥
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♥ बीती बात बिसार दें...♥ ******************************** कल-तक मीठे बोल थे,आज नहीं वो बात। देखें तो मुँह फेर लें, ऐसे हैं हालात।। जाने कैसे बढ़ गई, बात-बात में बात। दिखलानें हमको लगी,वो अपनी औकात।। अग्नि क्रोध की जल उठी, झुलस गये सम्बंध। मानों तेज बहाव में, बिखरे हों तटबंध।। हम भी तो हम ही रहे, वही पुराना रोष। आओ फिर कर लें सुलह, बन जायें निर्दोष।। कब तक हम ढोते रहें, वही पुरानी बात। बीती बात बिसार दें, करें नई शुरुआत।। ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) Ketansahu77.blogspot.com **********************************
♥😂 का मय सुनावव संगी... 😂♥
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♥😂 का मय सुनावव संगी... 😂♥ ********************************* एती तेती सबो कोती,जनता बेहाल जी, का मय सुनावव संगी, देश के हाल जी... महिना महिना चँऊर, बढ़िया मिलत हे, हेयर डाई लगाय हावै, कोढ़िया घूमत हे, दिनो-दिन होवत हे, किसान कंगाल जी... का मय सुनावव संगी... जेला हमन चुनें रेहेन, बनगे नवाब, दारू भट्ठी खोले हावै, बेचत हे शराब, दारू पी के टूरा मन, करत हे धमाल जी... का मय सुनावव संगी... आनी-बानी के देश म, योजना चलत हे, शौचालय के गिनती म, गुरुजी लगत हे, साग-भात चुरिस नहीं, गलिस नहीं दाल जी... का मय सुनावव संगी.... दाई-ददा के पइसा म, टूरा मारत हे फुटानी, सिनेमा देखे रायपुर जाबो, चल मोर जानी, टूरा-टूरी के फेर म, गाँव-गाँव मे बवाल जी... का मय सुनावव संगी.... मोर बिना का होही, सूते-सूते सोंचत हौं.. का होही देश के, मनेमन म गुणत हौं... करना धरना कुछु नहीं, फालतू सवाल जी.. का मय सुनावव संगी.... ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) मो. नं.- 7049646478 My blog: ketansahu77.blogspot.com **********************************
🌷🌼 बसंत पंचमी 🌸🌷
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🌷🌼 बसंत पंचमी 🌸🌷 ***************************** माघ मास की पंचमी, ऋतु बसंत है आज। मन-भावन सुवास लिये, आया है ऋतुराज।। आती है नव-कोपलें, बहती मस्त बयार। करती वीणा वादिनी, वाणी का संचार। हंस-वाहिनी को नमन, फूँक रही नव-प्राण। ज्ञान-दीप जलती रहे, हो सबका कल्याण।। आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं... ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) मो. नं.- 7049646478 ********************************
🇮🇳 तिरंगा झंडा 🇮🇳
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🇮🇳 तिरंगा झंडा 🇮🇳 ********************************* तीन रंग का बना तिरंगा, आन-बान औ शान। देश-भक्ति का बोध कराता,भारत की पहचान।। शौर्य पराक्रम का प्रतीक है, केसरिया का रंग। हिम्मत साहस ऊर्जा भरता, वीरों का यह ढंग।। स्वतंत्रता पर बलि-बलि जाएं,है अपना संस्कार। देश धर्म पर मिट न सकें जो, वो जीवन बेकार।। श्वेत-रंग सिखलाता हमको, चलें शांति की राह। प्रेम-प्यार हो इस गुलशन में, कोई न हो गुनाह।। सदाचार औ पवित्रता का, हो जीवन में वास। मानवता धर्म ईमान हो, आपस में विश्वास।। हरा रंग है हरियाली का, समृद्धि का संदेश। मिट्टी की खुशबू से महकें, प्यारा भारत देश।। इस झंडे के ठीक मध्य है,अशोक चक्र प्रतीक। ऊँच-नीच का भेद नही है,मिलता न्याय सटीक। धर्म-चक्र कहलाता है यह, करता सबका न्याय। प्रेम-प्यार से पलें-बढ़ें सब, कहीं न हो अन्याय।। गर्व हमें है इस झंडे पर, करते हैं सम्मान। है अपनी पहचान तिरंगा, भारत देश महान।। ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) मो. नं.- 7049646478 My blog: ketansahu77.blogspot.com ******************
♥🌼 मकर संक्रांति 🌼♥
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♥🌼 मकर संक्रांति 🌼♥ ****************************** पर्व मकर संक्रांति है, नव-ऊर्जा संचार। सबके ऊर्जा स्रोत को, नमन करे संसार।। शुभारंभ पावन दिवस, उत्तरायण प्रयाण। मकर राशि में कर गमन, फूँक रहे नव-प्राण।। हे! दिनेश दिनकर नमन, करते तुम्हें प्रणाम। सूर्य दिवाकर भानु रवि, जिसके अगणित नाम।। गंगा में डुबकी लगा, धरें देव का ध्यान। भक्ति-भाव से कर भजन, करते हैं सब दान।। प्रथम पर्व नव वर्ष का, उड़ते विविध पतंग। खाते हैं गुड़ तिल सभी, होकर मस्त मतंग। चमक उठें हम सूर्य सा, फैले तेज प्रकाश। ज्ञान दीप जलती रहे, अँधियारा हो नाश।। देते हैं शुभकामना, ऐसे बनें मिसाल। कीर्ति ख्याति बढ़ती रहे, युग बीते या साल।। ✍केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) मो. नं.- 7049646478 My blog: ketansahu77.blog.com **********************************
🌾🌾छेरछेरा त्योहार🌾🌾
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🌾🌾छेरछेरा त्योहार🌾🌾 ******************************* पूस मास की पूर्णिमा, अन्न भरे घर द्वार। जश्न मनाता आ गया, छेरछेरा त्योहार।। अन्न दान का पर्व है, संस्कृति की पहचान। मालिक या मजदूर हो, इस दिन एक समान।। घर-घर जातें हैं सभी, गाते मंगल गान। मुट्ठी भर-भर लोग भी, करते हैं सब दान।। भेष बदल कैलाश-पति, गये उमा के द्वार। अन्नदान से फिर मिला, इक दूजे को प्यार।। कर्म सभी अपना करें, रखें सभी से प्रीत। हमें यही बतला रही, लोक पर्व की रीत।। प्रेम-प्यार से सब रहें, करें मलिनता दूर। मात अन्नपूर्णा करें, धन वैभव भरपूर।। आप सभी को अन्नदान का पर्व "छेरछेरा" की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं.... केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) मो. नं.- 7049646478 *********************************