🏚️लॉकडाउन🏚️
चंचरी / विंवुध प्रिया छंद ****************************** 212 112 12 , 1 121 211 212 🏚️लॉकडाउन🏚️ ******************************** हे! प्रिये सुन बात को, इतना कहा तुम मान लो। लॉकडाउन है अभी, घर में रहो बस ठान लो।। है निवेदन आप से, निकलो नहीं घर में रहो। कष्ट का यह दौर है, तकलीफ है हित में सहो।। भूल से मत भूलना, अफसोस ना करना पड़े। रोग से बचना तुम्हें, गर कष्ट भी सहना पड़े।। मौत से मत खेलना, गर प्यार है परिवार से। जान से कितने गए, इस काल कोविड वार से।। धैर्य से तुम काम लो, यह घोर संकट काल है। भीड़ है शमशान में, यह दृश्य तो विकराल है।। काल है विकराल है, यह कोहराम मचा रहा। लॉकडाउन शस्त्र है, यह तो जहान बचा रहा।। ******************************* ✍© केतन साहू "खेतिहर"✍️ बागबाहरा, महासमुंद (छग.)