Posts

Showing posts from July, 2018

⚡ वो फिर आ गये...⚡

Image
 ⚡ वो फिर आ गये...⚡ ************************ वो फिर आ गये मसीहा बनकर, जो हमको डूबता छोड़ गये थे, कांधे पर जो चढ़कर अपने, खुद ही सरपट दौड़ गये थे, ********************** यह सोच के दिल घबराता है, उसे याद हमारी फिर आई है, अब की बार संभल कर रहना, कहीं फिर से न आफत आई है, ********************** जब दर्द से आँसू छलक रहे थे, तब  तो  न  आये  मनाने  को... अब खुद से जीना सीख रहे हैं, वो फिर आ गये रूलाने को... ************************  ✍ केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)

मुक्तक..🐊.घड़ियाली आँसू..🐊

Image
(1) *********************************** झूठ था कहना तुम्हारा सच नही सब एक हैं, खुल रहा है भेद सारा लग रहा सब फेंक हैं, सच अगर लगता बुरा तो लगनी भी तो चाहिए, बन गये सब शेख हैं बस अपना अपना देख हैं, *********************************** (2) *********************************** खुल रहा है भेद सारा सच कभी छुपता नहीं, अब दिखावा मत करो अच्छा हमें लगता नहीं, जश्न की गर बात है तो खुल के भी हँस दो जरा, अश्रु अब घड़ियाल के अच्छा हमें लगता नहीं, ***********************************         ✍ केतन साहू "खेतिहर" ✍

⛈बरसो रे! अब मेघ..⛈

Image
बरसो रे! अब मेघ.... ******************************** चिंता ग्रस्त किसान हैं, बिन बारिश बरसात। धरती सूखी है पड़ी, बिगड़ रहे हालात।। बिगड़ रहे हालात, घटा गम की अब छाई। कहीं पड़े न अकाल, हो न जाए दुखदाई।। बरसो रे! अब मेघ, मिले सबको निर्भयता। बुझे धरा की प्यास, मिटे सबकी यह चिंता।। ********************************            केतन साहू "खेतिहर"      बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)