राम-राम तुम कब आओगे...
आज भारत भूमि से एक पुण्यात्मा हमारे बीच से जुदा हो गए, मा.अटल बिहारी बाजपेई जी के निधन पर आज मुझे बिल्कुल वही अनुभूति हो रही है,जैसे त्रेतायुग मे राजा दशरथ जी राम-राम रटते हुए देह त्याग कर स्वर्ग सिधार गए थे, और पूरे भारतवर्ष में शोक की लहर फैल गई थी, इसका वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है... "राम-राम कहि राम कहि,राम-राम कहि राम, तनु परिहरही रघुवर विरह, राउ गयउ सुरधाम" उसी भाव के साथ अटल जी को यह पंक्तियां समर्पित करता हूं... 🌹राम! राम! तुम कब आओगे... कुटिल कैकई की चालों से, निज स्वार्थ कपट के जालों से, फिर से छला गया मैं देखो, क्या लीला वही कराओगे.... राम! राम! तुम कब आओगे.... चौदह बरस लगाये तुमनें, रावण को मार गिरानें में।। अबकी बार बता भी दो ना, तुम कितनें बरस लगाओगे... राम! राम! तुम कब आओगे... मेरे अपने छूट गये हैं। स्वर्णिम सपनें टूट गये हैं।। वो मेरे सपनों का भारत, क्या अब तुम नहीं बनाओगे... राम! राम! तुम कब आओगे... अब कलयुग नंगा नाच रहा। भोली जनता क