वो हमें बनाते रहे....
वो हमें बनाते रहे... और हम बनते रहे... वो भी हँसते रहे... और हम भी हँसते रहे... वो हँसते रहे... हमारी बेवकूफी पर, और हम हँसते रहे... उनकी बेवकूफी पर, ना वो सुधरे... ना हम सुधरे... वक्त का कारवाँ, बस यूं ही गुजरता रहा... ✍ केतन साहू "खेतिहर"✍ बागबाहरा,महासमुंद(छ.ग.)