कुंडलिया--किसान🌾🌾🌾
.किसान भाईयों को सादर समर्पित.. 🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾 ******************************* हालत अपनी क्या कहे, एक गरीब किसान। शहरों की है चाकरी, छोड़ गये संतान।। छोड़ गये संतान, भला अब कौन सहारा। खेती पड़ी विरान, हुआ वो खुद बेचारा।। गाँव-गली मत भूल, कमा इतनी धन-दौलत। देखो जरा निहार, पिता की क्या है हालत।। ********************************** 🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾 केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)