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Showing posts from April, 2018

कुंडलिया--किसान🌾🌾🌾

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.किसान भाईयों को सादर समर्पित.. 🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾 ******************************* हालत अपनी क्या कहे, एक गरीब किसान। शहरों की है चाकरी, छोड़ गये संतान।। छोड़ गये संतान, भला अब कौन सहारा। खेती पड़ी विरान, हुआ वो खुद बेचारा।। गाँव-गली मत भूल, कमा इतनी धन-दौलत। देखो जरा निहार, पिता की क्या है हालत।। ********************************** 🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾            केतन साहू "खेतिहर"      बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)

कुंडलियां छंद- 💘 माँ-बच्ची 💘

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            💘 माँ-बच्ची 💘 ******************************** बच्ची का बचपन गया, छूटा माँ का प्यार। देख दशा मासूम की, भगवन! जरा निहार।। भगवन! जरा निहार, फिरे वो दर-दर मारी। जूठन को लाचार, पड़ी है विपदा भारी।। मात-पिता आधार, कथन है बिल्कुल सच्ची। माँ-माँ करे पुकार, बिछड़ कर माँ से बच्ची।। ********************************            केतन साहू "खेतिहर"       बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)

कुंडलियां छंद_ 🔥बाबा रे! बाबा🔥

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          🔥बाबा रे! बाबा🔥 ******************************** बाबा है बस नाम के, करते भोग विलास। फूटी गगरी पाप की, हुआ हास-परिहास।। हुआ हास-परिहास, थूँकती दुनिया सारी। पाखंडी दरबार, लुटी अबला बेचारी। जाते थे दरबार, समझ कर कांशी काबा। ढोंगी का बाजार, सजा बाबा रे! बाबा।। ********************************            केतन साहू "खेतिहर"      बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)

💖 शादी की सालगिरह 💖

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  💖 शादी की सालगिरह 💖 ************************** शुभारंभ दांपत्य का, मंगलमय आगाज। शुभ मंगल पावन घड़ी, सालगिरह की आज।। बाबुल का घर छोड़ के, करके नव-श्रृंगार। लाल चुनरिया ओढ़ के, आई मेरे द्वार। कदम तुम्हारे जब पड़े, घर आँगन गुलजार। बच्चों की किलकारियाँ, प्यार भरा परिवार।। साथ संगिनी हो सदा, माँग रहें  आशीष। मात-पिता सबको नमन, झुका रहे हैं शीश।। *********************************      ✍केतन साहू "खेतिहर"✍    बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) ********************************* HAPPY WEDDING ANNIVERSARY          🎼27 APRIL 2018🎼

💖 गजल_ माता-पिता के नाम...💖

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  💖 गजल_ माता-पिता के नाम...💖 ******************************* बनें हम पिता और माँ का दुलारा, हमारे लिए ही उमर है गुजारा। उन्हें भी हमारी मदद की जरूरत, हमें जो यहाँ तक दिया है सहारा। बड़े ही जतन से खिलाया पिलाया, पढ़ाकर लिखाकर हमें है सँवारा। न सोना न चाँदी न हीरे जवाहर, उन्हें बस मिले प्यार दुलार हमारा। पिता और माँ की करें हम इबादत, यही फर्ज है धर्म भी है हमारा। ********************************      ✍केतन साहू "खेतिहर"✍    बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) Blog- ketansahu77.blogspot.com ********************************

🔥सुलगता शहर 🔥

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      🔥सुलगता शहर 🔥 *************************** इधर भी उधर भी जिधर देखता हूँ, सुलगता हुआ हर शहर देखता हूँ, कहीं लड़ रहे हैं कहीं मर रहे हैं, झगड़ता हुआ हर नगर देखता हूँ, कहीं आग में जल न जाए यहाँ सब, झुलसता हुआ अब शहर देखता हूँ, सियासत बहुत है घिनौना यहाँ पर, छिड़कता हुआ अब जहर देखता हूँ, न जाने लड़ाकर मिलेगा तुम्हें क्या, उजड़ता हुआ घर तेरा देखता हूँ, *****************************      ✍केतन साहू "खेतिहर"✍    बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.) Blog- ketansahu77.blogspot.com **********************************