चंचल चितवन...
कुंडलिया... 💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕 चंचल चितवन चाँदनी, चारु चंद्र चितचोर। स्नेह सुधा बरसा रही, महि अम्बर चहुँ ओर।। महि अम्बर चहुँ ओर, भोर मनभावन लागे। सौम्य सुहानी शाम, प्रीत प्रियतम मन जागे।। स्वच्छ चाँदनी रात, मचाता हिय में हलचल। कजरारे मृग नैन, प्रिया प्यारी भी चंचल ।। 💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕 केतन साहू "खेतिहर" बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)