🙏♥️~माँ~♥️🙏
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प्यार हम पर सदा माँ लुटाती रही।
दर्द पीती रही मुस्कुराती रही ।
चैन की नींद में लाल तुम सो सको,
थाप दे-दे तुम्हें माँ सुलाती रही।
कष्ट क्या चीज है ये तुम्हें क्या पता,
अश्क़ हँसते हुए माँ छुपाती रही।
आँच तुम पर न आये विपत काल में,
माँ बिलखती रही गिड़गिड़ाती रही।
अन्न के चार दाने जुटा वो सके,
भूख में प्यास में कर्म करती रही।
तीर सारे ज़माने के खुद ही सहे,
ढाल बनके तुम्हें माँ बचाती रही।
हम सदा खुश रहें खिलखिलाते रहें,
बस यही माँ मुरादें मनाती रही ।
"खेतिहर" भूलकर भी न भूलो इसे,
फर्ज माँ तो सदा ही निभाती रही ।
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✍©#केतन_साहू_"खेतिहर"✍️
बागबाहरा, महासमुंद (छग.)
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