आखिर कोरोना वारियर्स का दर्जा क्यों नहीं..?


 *आखिर कोरोना वारियर्स का दर्जा क्यों नहीं..?*

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        कोविड-19 संक्रमण काल की इस भीषण त्रासदी में शिक्षकों द्वारा फ्रंटलाइन वारियर्स के तौर पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया गया। वे हर मोर्चे पर सरकार के साथ खड़े रहे और डट कर मुकाबला किये और अभी भी अपनी जान जोखिम में डालकर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं...


          मृत रोगियों के शव को लाने-ले-जाने से लेकर कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग, एक्टिव सर्विलांस टीम, सर्वे कार्य, क्वारंटाइन प्रभारी, ग्राम प्रभारी, नोडल अधिकारी जैसे कार्यों के अलावा वैक्सीनेशन कार्य, चेकपोस्ट पर ड्यूटी, रेलवे स्टेशनों पर ड्यूटी के साथ-साथ संक्रमण का माध्यम बनने वाले मोहल्ला क्लास जैसे कार्यों का बखूबी निर्वहन किया। लेकिन आज जब वही शिक्षक इन कार्यों का निष्पादन करते हुए कोरोना संक्रमित होकर अपनी जान से हाथ धो रहे हैं, तब सरकार उनके परिवार को यह कहकर बीमा एवं अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं दे रही है कि शिक्षक फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स की श्रेणी में नहीं आते...।


            यदि शिक्षक फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स की श्रेणी में नहीं आते हैं, तो सरकार शिक्षकों को फ्रंटलाइन वर्कर्स के तौर पर ऐसे जोखिम भरे कार्यों में क्यों लगा रही है, आखिर हमारे वे शिक्षक साथी जो इस कार्य को करते हुए अपनी जान गवाँ बैठे, उनके घर परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा। सरकार से विनम्रता पूर्वक आग्रह है कि या तो हम शिक्षकों को भी फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स का दर्जा प्रदान कर अन्य कर्मचारियों की भांति, 50 लाख का बीमा व अन्य सुविधाएं प्रदान करें या फिर ऐसे कार्यों से हमें मुक्त रखें। हमें कार्य से परहेज नहीं परंतु अपनी एवं अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता करना हमारा नैतिक कर्तव्य एवं जिम्मेदारी है।

           ✒️ एक शिक्षक की कलम से..✒️

             केतन साहू, बागबाहरा, महासमुंद



 

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