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आखिर कोरोना वारियर्स का दर्जा क्यों नहीं..?

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 * आखिर कोरोना वारियर्स का दर्जा क्यों नहीं..?* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~         कोविड-19 संक्रमण काल की इस भीषण त्रासदी में शिक्षकों द्वारा फ्रंटलाइन वारियर्स के तौर पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया गया। वे हर मोर्चे पर सरकार के साथ खड़े रहे और डट कर मुकाबला किये और अभी भी अपनी जान जोखिम में डालकर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं...           मृत रोगियों के शव को लाने-ले-जाने से लेकर कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग, एक्टिव सर्विलांस टीम, सर्वे कार्य, क्वारंटाइन प्रभारी, ग्राम प्रभारी, नोडल अधिकारी जैसे कार्यों के अलावा वैक्सीनेशन कार्य, चेकपोस्ट पर ड्यूटी, रेलवे स्टेशनों पर ड्यूटी के साथ-साथ संक्रमण का माध्यम बनने वाले मोहल्ला क्लास जैसे कार्यों का बखूबी निर्वहन किया। लेकिन आज जब वही शिक्षक इन कार्यों का निष्पादन करते हुए कोरोना संक्रमित होकर अपनी जान से हाथ धो रहे हैं, तब सरकार उनके परिवार को यह कहकर बीमा एवं अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं दे रही है कि शिक्षक फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स की श्रेणी में नहीं आते...।             यदि शिक्षक फ्रंटलाइन

🤣लॉकडाउन(समसामयिक व्यंग्य)🤣

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 🤣लॉकडाउन(समसामयिक व्यंग्य)🤣 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ लॉकडाउन चल रहा है, घर से निकलना नहीं... जैसे-तैसे चटनी, पीस-पीस खाइए... चप्पे-चप्पे पर पुलिस यहां, डंडा लिए बैठ रहे... मुफ्त का मसाज,पिछवाड़े पर कराइए... पता करो किस कारण, कोरोना कुपित हुआ... थाली-माली चम्मच कुछ तो बजाइए... आप के खातिर हमने, दारु भट्टी खोल दिए... मनचाहा ब्रांड घर बैठे ही मंगाइए... कमी किसी चीज की, होने हम देंगे नहीं... क्या चाहिए बस खुल के बताइए... कोरोना के कारण अब, जीना दुश्वार हुआ... सब मिलकर इसे, देश से भगाइए... ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ✍© केतन साहू "खेतिहर"✍️     बागबाहरा, महासमुंद (छग.) ~~~~~~~~~~~~~~~~~~

🍷मयशाला बनाम मयकशी🍷

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     🍷मयशाला बनाम मयकशी🍷 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मापनी-- 212  212  222  212 तर्ज-- हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम, ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ⚡⚡⚡⚡⚡⚡⚡⚡⚡⚡ खून हमने  तुम्हारा जी भर के  पिया । तू समझता रहा मैं तो खुल के जिया।। देख  तेरे  लिए ही  मयशाला खुला, यार तुमने पियाला भर-भर के पिया। जाम पे जाम यारों छलकाते रहे, और खाली खजाना ना होने दिया। तुम शराबी कहाते हो या बेवड़ा, पर हमें देवघर का दर्जा दे दिया। भक्त भगवान सा अनुपम नाता यहाँ, सब चढ़ाकर प्रसादी तुमने ले लिया। भक्त सारे तुम्हारे कायल हो गए, जाम छूटे नहीं तुमने वर ले लिया। तू जिए या मरे अब है किसको फिकर, मर गया मानकर श्रद्धांजलि दे दिया। दोष किस पर लगाएँ तेरी मौत का, जब हमीं शौंक से तुमको मरने दिया। देश हित मे दुकानें मय की चल रही, मौत देकर शराबी तमगा दे दिया। "खेतिहर" ये अकेले के बस में नहीं, लाश हमने उठाने कांधा दे दिया। ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः ✍© केतन साहू "खेतिहर"✍️     बागबाहरा, महासमुंद (छग.)       मो.नं.- 7049646478

🏚️लॉकडाउन🏚️

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चंचरी / विंवुध प्रिया छंद ****************************** 212  112  12 , 1  121  211  212                 🏚️लॉकडाउन🏚️ ******************************** हे! प्रिये सुन बात को, इतना कहा तुम मान लो। लॉकडाउन है अभी, घर में रहो बस ठान लो।। है निवेदन आप से, निकलो नहीं घर में रहो। कष्ट का यह दौर है, तकलीफ है हित में सहो।। भूल से मत भूलना, अफसोस ना करना पड़े। रोग से बचना तुम्हें, गर कष्ट भी सहना पड़े।। मौत से मत खेलना, गर प्यार है परिवार से। जान से कितने गए, इस काल कोविड वार से।। धैर्य से तुम काम लो, यह घोर संकट काल है। भीड़ है शमशान में, यह दृश्य तो विकराल है।। काल है विकराल है, यह कोहराम मचा रहा। लॉकडाउन शस्त्र है, यह तो जहान बचा रहा।। *******************************       ✍© केतन साहू "खेतिहर"✍️         बागबाहरा, महासमुंद (छग.)
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         🙏♥️~माँ~♥️🙏 ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः प्यार हम पर सदा माँ लुटाती रही। दर्द  पीती रही  मुस्कुराती रही । चैन की नींद में लाल तुम सो सको, थाप दे-दे तुम्हें माँ सुलाती रही। कष्ट क्या चीज है ये तुम्हें क्या पता, अश्क़ हँसते हुए माँ छुपाती रही। आँच तुम पर न आये विपत काल में, माँ बिलखती रही गिड़गिड़ाती रही। अन्न के चार दाने जुटा वो सके, भूख में प्यास में कर्म करती रही। तीर सारे ज़माने के खुद ही सहे, ढाल बनके तुम्हें माँ बचाती रही। हम सदा खुश रहें खिलखिलाते रहें, बस  यही  माँ  मुरादें  मनाती रही । "खेतिहर" भूलकर भी न भूलो इसे, फर्ज माँ तो सदा ही निभाती रही । ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः ✍©#केतन_साहू_"खेतिहर"✍️     बागबाहरा, महासमुंद (छग.)
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💦 शीत लहर 💦 💫💫💫💫💫💫💫💫 भीतर तो सिहरन है तन में, बाहर बारिश बरस रही है। वृष्टि-सृष्टि दोनों ही मिलकर, महि अम्बर को सता रही है।। 💫💫💫💫💫💫💫💫 धरती अम्बर सिमट गए हैं, इक-दूजे से लिपट गए हैं । बदली बनी हुई है चादर, मानों दोनों ओढ़ लिए हैं।। 💫💫💫💫💫💫💫💫 जीव-जंतु सब काँप रहे हैं, कठिन समय को भाँप रहे हैं। शीत लहर सी हवा चली है, अग्नि सुहानी ताप रहे हैं ।। 💫💫💫💫💫💫💫💫     ✒केतन साहू "खेतिहर"✒     बागबाहरा, महासमुंद(छग.)

👑 भाग्य बनाम कर्म 👑

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  👑 भाग्य बनाम कर्म 👑 ********************* भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म करो तुम कर्म करो... 💫💫💫💫💫💫💫💫 जब कर्म जमीं पर दिखता है, तब भाग्य किसी का खुलता है, बिन कर्म किये इस दुनिया में, कुछ कहाँ किसी को मिलता है, लक्ष्य बड़ा गर पाना है तो, हर सम्भव यत्न प्रयत्न करो... भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म... 💫💫💫💫💫💫💫💫 कर्म कभी ना वंचित होगा, धर्म-कर्म सब संचित होगा, बिगड़े भाग्य बनाना है तो, कर्म तुम्हें भी करना होगा, खुद के भाग्य विधाता तुम हो, निज हाँथों नवल विधान करो... भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म... 💫💫💫💫💫💫💫💫 सत्य सनातन सब धर्मों का, सच्चे सिद्ध साधु-संतों का, वेद-पुराणों का भी कहना, किस्मत परिणति है कर्मों का, जीवन फल है यह जन्मों का, सब जीव-जंतु हित धर्म धरो... भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म... 💫💫💫💫💫💫💫💫 करनी किस्मत की कुंजी है, जीवन भर संचित पूँजी है, कर्मवीर की मंगल गाथा, गुणगान गगन पर गूँजी है, युगों-युगों गूँजे जयगाथा, हे! कर्मपथी जयघोष करो... भाग्य भरोसे क्यूँ बैठे हो, तुम कर्म.