♥ किसका दिल मचला नहीं...♥
♥ किसका दिल मचला नहीं... ♥
उपवन की खिलती कली पर,
कौन भला उलझा नही...
जरा हमें भी तो बताओ,
किसका दिल मचला नहीं...
यौवन की दहलीज पर जब,
नव-पथिक पग रखता है...
रंग रूप माधुर्यता का,
नशा उस पर चढ़ता है...
प्रियतम की प्यारी अदा पर,
होता कौन फिदा नहीं...
जरा हमें भी तो बताओ,
किसका दिल मचला नहीं...
चढ़ता रंग बहार का जब,
हर कली मुस्काती है...
खिलता गुल-गुलनार पर तो,
तितली मंडराती है...
पुष्प कली को क्या भ्रमर भी,
चूम-चूम जाता नहीं...
जरा हमें भी तो बताओ,
किसका दिल मचला नहीं...
जवाँ-दिलों की हर तमन्ना,
पूरी तो होती नहीं...
माना सबको इस डगर पर,
मंजिल तो मिलती नहीं...
देख शमा पर क्या पतंगे,
जल-जलकर मरता नहीं...
जरा हमें भी तो बताओ,
किसका दिल मचला नहीं...
केतन साहू "खेतिहर"
बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)
मो. नं.- 7049646478
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