कुंडलिया--किसान🌾🌾🌾


.किसान भाईयों को सादर समर्पित..
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हालत अपनी क्या कहे, एक गरीब किसान।
शहरों की है चाकरी, छोड़ गये संतान।।
छोड़ गये संतान, भला अब कौन सहारा।
खेती पड़ी विरान, हुआ वो खुद बेचारा।।
गाँव-गली मत भूल, कमा इतनी धन-दौलत।
देखो जरा निहार, पिता की क्या है हालत।।
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           केतन साहू "खेतिहर"
     बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)

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