कुंडलियां छंद- 💘 माँ-बच्ची 💘
💘 माँ-बच्ची 💘
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बच्ची का बचपन गया, छूटा माँ का प्यार।
देख दशा मासूम की, भगवन! जरा निहार।।
भगवन! जरा निहार, फिरे वो दर-दर मारी।
जूठन को लाचार, पड़ी है विपदा भारी।।
मात-पिता आधार, कथन है बिल्कुल सच्ची।
माँ-माँ करे पुकार, बिछड़ कर माँ से बच्ची।।
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केतन साहू "खेतिहर"
बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)
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