⚡ वो फिर आ गये...⚡


 ⚡ वो फिर आ गये...⚡
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वो फिर आ गये मसीहा बनकर,
जो हमको डूबता छोड़ गये थे,
कांधे पर जो चढ़कर अपने,
खुद ही सरपट दौड़ गये थे,
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यह सोच के दिल घबराता है,
उसे याद हमारी फिर आई है,
अब की बार संभल कर रहना,
कहीं फिर से न आफत आई है,
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जब दर्द से आँसू छलक रहे थे,
तब  तो  न  आये  मनाने  को...
अब खुद से जीना सीख रहे हैं,
वो फिर आ गये रूलाने को...
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 ✍ केतन साहू "खेतिहर"✍
बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)

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