🤣नखरा तोर झर जाही रे...🤣
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झनकर तैं झगरा बाबू..खाना ल झन फेंक,
नखरा तोर झर जाही रे, रांध-कूट के देख...
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बने-बने तैं रांधस नहीं, काहत मुड़ी पीरागे,
अब्बड़ मारे ताना तैं तो, बाई घलो रिसागे,
चूल्हा कस गुंगवावत हे..फूँक मार के देख...
नखरा तोर झर जाही रे...
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आगी-पानी जुगार कर, छेना लकड़ी लान,
बटकी म..पिसान ले-ले, नून डार के सान,
रोटी तोर जर जाही रे..उलट-पुलट के सेंक,
नखरा तोर झर जाही रे...
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नून-मिरचा,धनिया ले-ले, सिलपट्टा तैं पीस,
खा ले संगी अलवा-जलवा, झन कर तैं रीस,
मोर कहना..मान ले बाबू अब तो घुटना टेक...
नखरा तोर झर जाही रे...
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✍केतन साहू "खेतिहर"✍
बागबाहरा, महासमुंद,(छ.ग.)
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