अगस्त क्रांति का आगाज...



🔥अगस्त क्रांति का आगाज🔥

आओ रण में अब कूच करें...
हम भी अपनी ललकार भरे..
बज उठा देख रण-भेरी है,
चलने में अब क्यों देरी है?

इक दूजे को कोस रहें हैं,
खुद ही हम निर्दोष बनें हैं।
क्या हममें कुछ दोष नहीं है
शासन के प्रति रोष नहीं है।

छोड़ो आपस की बातों को,
आओ हिलमिल जयघोष करें।
मातृ संगठन ललकार रहा,
हम भी अपनी हुंकार भरें।।

राह हमारी आसान नहीं,
मुश्किल राहों पर चलना है।
किसी एक की अब बात नहीं,
हम सबको मिलकर लड़ना है।।

देखो तो सरकारें कितनी,
सत्ता के मद में अब चुर है।।
बेबस हो जाती है जनता,
जानें क्यों इतनी मजबुर है।।

तोड़ मजबुरी की जंजीरें,
अब तो बाहर आना होगा।।
अब हमको ही आगे बढ़कर,
इनको सबक सिखाना होगा।।

अब तो हाथों में हाथ लिए,
सबको मिलकर चलना होगा।।
अंधेरी गलियों पर जैसे,
दीपक बनकर जलना होगा।।

    केतन साहू "खेतिहर"
बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)
Mo.no. 7049646478



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