वंदना प्राथमिक गुरुजन की...






वंदना प्राथमिक गुरुजन की।
आओ जाने उनके मन की।।
आकर के उनकी सुधि लेवें।
ध्यान जरा उनकी करि लेवें।।

नव-निहाल जो बच्चे आते।
पकड़-पकड़ के कलम थमाते।।
अचरज हमको कर जातें हैं।
पढ़ना लिखना सिखलातें हैं।।

जल थल नभ जीव जंतु सारे।।
नील गगन के चाँद सितारे।।
फूल चमन के प्यारे प्यारे।।
स्वर व्यंजन भी गिनती सारे।

छोटे और बड़े वर्णों का।
रहन-सहन के गुण धर्मों का।।
परिचय हमको करवातें है।
जानें क्या-क्या सिखलातें हैं।

जब बच्चे उबनें लगतें हैं।
वे हँसते और हँसातें हैं।।
हँसी-ठिठोली करते-रहते।
सबका मन बहलाते रहते।।

हँसकर खेल हमें करवाते।
हम सब पर वे प्यार लुटाते।।
नवाचार अपनातें रहते।
हमको बोध कराते रहते।।।

मजबूत नींव रखनें वाले।
कच्चे मटके गढ़नें वाले।।
धूल उड़ाते तूफानों से।
कभी नहीं घबरानें वाले।।

कोई उन पर जब हँसता है।
उनका उपहास उड़ाता है।।
दिल उनका छलनी होता है।
जब छोटा समझा जाता है।।

कुछ भी बातें करनें वाले।
गलती उन पर मढ़नें वाले।।
अहसास तुम्हें कब होता है।
जब उनका दिल भी रोता है।।

सम्मान नहीं कर सकते तो,
उनका ना तुम अपमान करो।
हम सब की गरिमा बनी रहें,
ऐसा तो कोई काम करो।।

गुरु ही ब्रम्हा विष्णु महेश्वर।
गुरु ही परम ब्रम्ह परमेश्वर।।
भगवत दर्श कराने वाले।
मुक्ति द्वार दिखलानें वाले।

रखकर बातें अपने मन की।
चरण वंदना सब गुरु जन की।।
कुछ गलती हो तो माँफ करो।
वंदन गुरुजन स्वीकार करो।

           केतन साहू "खेतिहर"
     बागबाहरा,महासमुंद, (छ.ग.)
      Mo.no.- 7049646478


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