बाबा.. रे.. बाबा!!!




     💥 बाबा...रे बाबा!...💥

ये कैसा अब दौर है, कैसा है ये वक्त।
कैसे नीम-हकीम हैं, कैसे-कैसे भक्त।।

चाहे आशा राम हो, या हो राम रहीम।
ज्ञानी संत लिवास में, ये हैं कड़ुवे नीम।।

आडंबर सब रच रहे, करने भोग विलास।
फूटी गगरी पाप की, हुआ हास परिहास।।

आस्था की सब आड़ में, फैलाया व्यापार।
धर्म सिसकता रह गया, पाखंडी दरबार।।

भेष बदल कर आ रहे, करने को उपभोग।
ताम-झाम सब देख के, उलझ रहे हैं लोग।।

भक्तों की भी आज कल, बदल गई है सोच।
ज्ञानी संत फकीर घर, जाने में संकोच।।

          केतन साहू "खेतिहर"
     बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)
       मो. नं.- 7049646478



Comments

Popular posts from this blog

🌾🌾छेरछेरा त्योहार🌾🌾

शब्द सीढ़ी

कुंडलियां छंद_ 🔥बाबा रे! बाबा🔥