कृषक भाई आंदोलित है..


धरती से अन्न उगाने वाले,
हम सबकी क्षुधा मिटाने वाले,
ना जानें इतना क्यों क्रोधित है?
देख कृषक भाई आंदोलित है....

वसुंधरा को महकाने वाले,
जीवन गीत गुन-गुनाने वाले,
अब सोचें इतना क्यों शोषित है?
देख कृषक भाई आंदोलित है...


अपना पसीना बहाने वाले,
धरती की प्यास बुझाने वाले,
बताओ भी इतना क्यों तृषित है?
देख कृषक भाई आंदोलित है...

वे भोले-भाले सीधे-सच्चे,
भूखे,बेघर क्यों उनके बच्चे?
होते नित छलावे से छलित है,
देख कृषक भाई आंदोलित है...

जो अपनी सत्ता के खातिर ही,
उनको भांति-भांति ललचातें हैं,
अब वें बोले क्यों व्यर्थ-व्यथित हैं?
देख कृषक भाई आंदोलित है...

झूठी, फरेबी राज-सत्ता को,
मौका परस्त राज-नेतृत्व को,
अब खत्म करने को ललायित है,
देख कृषक भाई आंदोलित है....

देख दयनीय दशा कृषक जन की,
कुछ सुलगते प्रश्न उनके मन की,
कलम"खेतिहर"की आज द्रवित है,
देख कृषक भाई आंदोलित है...

 केतन साहू "खेतिहर"
बागबाहरा, महासमुंद(छ.ग.)
Mo.no. 7049646478

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