☀बचपना☀
👶☀बचपना☀👶
रुक जाना हर एक मोड़ पर,
नादानी है ये बच्चों की।
नादानी करते-करते ही,
बीते ना हर पल जीवन की।।
नादानी में ही तो बच्चें,
सब हरकतें किया करतें हैं।
गर्म दूध को पीकर अपना,
मुँह ही जला लिया करतें हैं।।
आतुरता इतनी ठीक नहीं,
थोड़ी ठंडी आहें भर लो।
व्याकुलता इतनी किस कारण,
पूछो परखो मंथन कर लो।।
पूछ-परख कर तुम काम करो,
जग में अपना कुछ नाम करो।
मात-पिता के अरमानों को,
ऐसे ना तुम बदनाम करो।।
अपनी खूबी मासुमियत को,
क्यों ऐसे जाया करते हो।
अनुपम अनमोल खजाने को,
क्यों व्यर्थ गँवाया करते हो।।
पड़ाव पर मत उलझो प्यारे,
मंजिल की ही तुम ध्यान धरो।
लक्ष्य तुम्हारा अब दूर नहीं,
तुम राम-बाण संधान करो।।
छोटा अपना अरमान नहीं,
ऊँची सोच रखा करते हैं।
अब हम ना कोई बच्चे हैं,
जो कंचों में खुश रहतें हैं।।
✍ केतन साहू "खेतिहर"✍
बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)
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रुक जाना हर एक मोड़ पर,
नादानी है ये बच्चों की।
नादानी करते-करते ही,
बीते ना हर पल जीवन की।।
नादानी में ही तो बच्चें,
सब हरकतें किया करतें हैं।
गर्म दूध को पीकर अपना,
मुँह ही जला लिया करतें हैं।।
आतुरता इतनी ठीक नहीं,
थोड़ी ठंडी आहें भर लो।
व्याकुलता इतनी किस कारण,
पूछो परखो मंथन कर लो।।
पूछ-परख कर तुम काम करो,
जग में अपना कुछ नाम करो।
मात-पिता के अरमानों को,
ऐसे ना तुम बदनाम करो।।
अपनी खूबी मासुमियत को,
क्यों ऐसे जाया करते हो।
अनुपम अनमोल खजाने को,
क्यों व्यर्थ गँवाया करते हो।।
पड़ाव पर मत उलझो प्यारे,
मंजिल की ही तुम ध्यान धरो।
लक्ष्य तुम्हारा अब दूर नहीं,
तुम राम-बाण संधान करो।।
छोटा अपना अरमान नहीं,
ऊँची सोच रखा करते हैं।
अब हम ना कोई बच्चे हैं,
जो कंचों में खुश रहतें हैं।।
✍ केतन साहू "खेतिहर"✍
बागबाहरा, महासमुंद (छ.ग.)
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